विष्णु चालीसा आरती Vishnu Chalisa Aarti in Hindi | 108 Names of Lord Vishnu
विष्णु चालीसा आरती Vishnu Chalisa Aarti in Hindi | 108 Names of Lord Vishnu. Hey guys welcome to ChalisaKiPath, in this post we shared Shri Vishnu chalisa aarti lyrics in Hindi and 108 names of Shri Vishnu.
- श्री विष्णु चालीसा Vishnu Chalisa In Hindi
- श्री विष्णु जी की आरती Vishnu Aarti
- श्री हरि विष्णु के 108 नाम 108 Names of Vishnu
विष्णु चालीसा Vishnu Chalisa In Hindi
॥ दोहा॥
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥
॥ चौपाई ॥
नमो विष्णु भगवान खरारी,
कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,
त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत,
सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत,
बैजन्ती माला मन मोहत ॥
शंख चक्र कर गदा विराजे,
देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे,
काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन,
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन,
दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥
पाप काट भव सिन्धु उतारण,
कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण,
केवल आप भक्ति के कारण ॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा,
तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा,
रावण आदिक को संहारा ॥
आप वाराह रूप बनाया,
हिरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया,
चौदह रतनन को निकलाया ॥
अमिलख असुरन द्वन्द मचाया,
रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया,
असुरन को छवि से बहलाया ॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया,
मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया,
भस्मासुर को रूप दिखाया ॥
वेदन को जब असुर डुबाया,
कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया,
उसही कर से भस्म कराया ॥
असुर जलन्धर अति बलदाई,
शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।
हार पार शिव सकल बनाई,
कीन सती से छल खल जाई ॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी,
बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी,
वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥
देखत तीन दनुज शैतानी,
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी,
हना असुर उर शिव शैतानी ॥
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे,
हिरणाकुश आदिक खल मारे ।
गणिका और अजामिल तारे,
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥
हरहु सकल संताप हमारे,
कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे,
दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥
चाहता आपका सेवक दर्शन,
करहु दया अपनी मधुसूदन ।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन,
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण,
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।
करहुं आपका किस विधि पूजन,
कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण,
कौन भांति मैं करहु समर्पण ।
सुर मुनि करत सदा सेवकाई,
हर्षित रहत परम गति पाई ॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई,
निज जन जान लेव अपनाई ।
पाप दोष संताप नशाओ,
भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥
सुत सम्पति दे सुख उपजाओ,
निज चरनन का दास बनाओ ।
निगम सदा ये विनय सुनावै,
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥
ॐ जय जगदीश हरे। स्वामी जय जगदीश हरे॥
भक्त जनों के संकट। क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे। स्वामी जय जगदीश…..॥
जो ध्यावे फल पावे। दुख विनसे मन का॥
सुख सम्पति घर आवे। कष्ट मिटे तन का॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे। स्वामी जय जगदीश…..॥
मात पिता तुम मेरे। शरण गहूं मैं किसकी॥
तुम बिन और न दूजा। आस करूं मैं जिसकी॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे। स्वामी जय जगदीश…..॥
तुम पूरण परमात्मा। स्वामी तुम अंतर्यामी॥
पारब्रह्म परमेश्वर। तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे। स्वामी जय जगदीश…..॥
तुम करुणा के सागर। तुम पालन कर्ता॥
मैं मूरख खल कामी। कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे। स्वामी जय जगदीश…..॥
तुम हो एक अगोचर। सबके प्राणपति॥
किस विधि मिलूं दयामय। तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे। स्वामी जय जगदीश…..॥
दीनबंधु दुखहर्ता। ठाकुर तुम मेरे॥
अपने हाथ उठाओ। द्वार पड़ा मैं तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे। स्वामी जय जगदीश…..॥
विषय विकार मिटाओ। पाप हरो देवा॥
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ। संतन की सेवा ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे। स्वामी जय जगदीश…..॥
श्री जगदीशजी की आरती। जो कोई नर गावे॥
कहत शिवानन्द स्वामी। सुख संपत्ति पावे॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे। स्वामी जय जगदीश…..॥
श्री हरि विष्णु के 108 नाम 108 Names of Vishnu
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- ऊँ श्री विराट पुरुषाय नम:
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